Wednesday, February 2, 2011

हम खामोश है हर बार की तरह..

तेरी दुनिया में इन्सान का दिल ऐसा क्यों है ,दिल रोता है पर होंटो को हसाना पड़ता है
दिल में है दर्द इतना पर मुस्कुराना पड़ता है , दिल जब रोता है तो खुद ही चुप कराना पड़ता है
जुबा को खामोश कर रखा है हमने ,पर अश्को को छुपाना पड़ता है,
मुश्किल है हर बार अश्को को छुपाना ,हर बार एक नया झूठ बोलना पड़ता है ,
हम खामोश है हर बार की तरह ,हर बार की तरह दिल को मनाना पड़ता है ,
लोग कहतें है वो बहुत दूर है हमसे ,पर कैसे कहें की उन्हें दिल में छुपाना पड़ता है,
प्यार को भगवान मानते है लोग ,पर भगवान को भी तो बुलाना पड़ता है ,
जो प्यार मिला जिन्दगी में ,कैसे कहें की उसे भी भुलाना पड़ता है ,
वो सोचतें है की भुला देंगें हम उन्हें ,पर उन्हें क्या पता जीने के लिए उन्हें ही याद करना पड़ता है
पास थे तो परवाह थी उन्हें हमारी ,अब तो याद उन्हें  दिलाना पड़ता है
खास है वो दिल के पास वो ,पर उनसे ही छुपाना पड़ता है ,
जीने की उम्मीद खो से जाती है जब दूर होने का अहसास दिल को पड़ता है ,
बेशक वो दूर है हमसे ,पर जब दिल में बसाया है उन्हें तो
उन्हें क्या पता,बात उनसे रोज ही चुपके से  कर लेता है दिल,
उन्हें क्या पता रोज चुपके से उनका दीदार कर लेता है दिल
वो तो सोचतें है उन्हें भुलाये बैठें है हम ,उन्हें कैसे बताएं की उन्हें दिल में छुपाये बैठें है हम ,
पहले हर बात बिना बताये समझ जाते थे वो ,अब तो उन्हें हर बात बताना पड़ता है ...............

                                                                                                                       प्रियंका

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