Wednesday, February 16, 2011

मेरी हर बात में तुम हो....

मेरी  हर बात में तुम हो ,हर पल हर अहसास में तुम हो ,
फिर भी न जाने क्यों खोजती है ये नज़रे तुमको हर पल,
                              आखो में कुछ तस्वीरे समायी है की नज़र कुछ और आता नहीं,
                              हर शख्स में देखा है तुमको ,हर रंग में पाया है तुमको ,
                              मौसम हो कोई भी पर तुम्हारे आने से बसंत जो छाया था ,वो आज भी है  
मेरी  हर बात में तुम हो ,हर पल हर अहसास में तुम हो ,
फिर भी न जाने क्यों खोजती है ये नज़रे तुमको हर पल,
                              दिल की धडकनों में तुम्हे छुपा कर हर नज़र से बचाया है,
                              मासूम है तुम्हारे होने का अहसास ,पवित्र है तुम्हारे साथ का अहसास ,
                              समाज की कठोरता से अपने रिश्ते को बचाया है हमने,
मेरी  हर बात में तुम हो ,हर पल हर अहसास में तुम हो ,
फिर भी न जाने क्यों खोजती है ये नज़रे तुमको हर पल                            


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