Saturday, February 19, 2011

वो अपना है पर पराया क्यों है..

दिल में दर्द सा क्यों है ,वो अपना है पर पराया सा क्यों है ,
साथ उसके रहना तो चाहती हूँ ,दूरिया इतनी दर्मिया क्यों है ,
महसूस करती हूँ हर पल साथ उसको ,पर वो नजरो से दूर क्यों है,
जानती हूँ उसको पहचानती हूँ उसको ,पर फिर भी वो बेगाना सा क्यों है,
याद उसे करती हूँ हर पल ,फिर भी हमारे बीच ये चुपी सी क्यों है ,
ये अनचाही सी दूरिया क्यों है ,हम मिल के भी अनजाने से क्यों है ,
सुन सकते हो आवाज़ मेरी ,समझ सकते हो हर बात मेरी ,
फिर भी क्यों अनसुना कर जाते हो ,इस सफ़र में तन्हा किये जाते हो ,
चमक तुम्हे देख कर चहेरे पे मेरे जो आती थी उसे स्याह किये जाते हो,
आखें जो ख्वाब बुनती थे सपनीले ,उसे क्यों सूना किये जाते हो .......

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