Wednesday, February 9, 2011

रात्रि को चीरता उगता है सूर्य...

                      रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
                      घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
                     सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से ,
    शास्वत है उसका आना और जाना ,वैसे ही शास्वत है भारत का आस्तित्व भी
     नहीं भेद सकता है इसको कोई भी राज़ ,चाहें हो कोई भी तूफान ,या आतंक ,
    किसी भी राज़ का हो अँधेरा या आतंक का हो तूफान ,हम भारत की आन है
    सबसे लड़ लेंगे हम गाँधी ,नेहरु की है पीढ़ी ,गर्दिशो से भी खीच लायेंगे अपने देश की कश्ती,
                  रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
                  घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
                   सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से,
   माँ को टुकड़ो में मत बाटो ये भारत माता के बेटो ,ये वो माँ है जिसकी खातिर 
   अनेको माओ ने अपनी गोदे सुनी की,अंधड़ हो किसी भी राज़ का ,
   या की आसाम का आलगाववादी शोर हो ,या फिर हो कश्मीर में बढता हिंसा का जोर हो ,
    जऱा ये भी तो सोचो गर बाट दिया हमने अपनी ही  माँ के आचल को ,
   तो हमारा अपना अस्तित्व ही क्या रह जायेगा,कुछ झूठे मोतियों की खातिर क्या 
    अपने ही घर को तोड़ देंगे हम,कुछ पल को आओ बैठ कर सोचे ,
    क्या हम पर नाज़ हमारी  तरह हमारी संताने कर पाएंगी,समझो माँ के प्यार को ,उससे है हम पहचानो इस बात को ,
              रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
              घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
             सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से,
    कर निहित स्वार्थ का त्याग,आओ करें भारत माता से अनुराग ,
    शान है हम भारत की ,नेहरु,गाँधी का है मान,साबित कर दो ए भारत माँ के लाल ,
     न हमारी कोई जात न धरम ,हम है भारतीय बस यही है हमारी पहचान ,
   करो बस देश से प्रेम है यही हमारा कर्म,माँ का आचल कर दो रोशन अपने कर्मो से,लहरा दो तिरंगा पूरी दुनिया में
                          रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
                          घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
                        सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से... 
     

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