Saturday, February 26, 2011

फ़ासला..

होता  है  यूँ  ही  जिन्दगी  के  साथ  कभी  कभी  ,
रोशनी  तो  फैलती है  ज़माने  में  पर  दिल  में  अँधेरा  ही  रह  जाता  है ,
जरुरत  तो  उनकी  रहती  है  हमे  हर  दम  ,
बस  दर्मिया  फ़ासला सा  कुछ  रह  जाता  है ..........

1 comment:

  1. बहुत अच्छा प्रयास है।
    यह ब्लॉग सफल हो सकता है। निरन्तरता बनाए रखें।
    प्रत्येक पोस्ट का एक छोटा शीर्षक अवश्य दें।

    दूसरे ब्लॉग्स पर जाकर देखें क्या हो रहा है।
    आपकी रचनाओं से मिलता-जुलता एक सफल ब्लॉग सीमा गुप्ता जी का है। उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है उसका पता है-
    http://mairebhavnayen.blogspot.com/

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