पलकों की चिलमन से छुपकर देखा है मैंने तुम्हे कई बार ,
अपनी सांसो की सरगम में मैंने सुना है तुमको हर बार, कई बार,
अपने हाथो को उठा कर उस खुदा से की है दुआए तुम्हारे लिए हर बार,कई बार,
अहसासों की घनी बस्ती मैंने सजायी है मन मैं इस बार,पहली बार,
जो मन मैं बनायीं है वो सुंदर छवि वो तुम्हारी है पहली और आखरी बार,
तुम्हारी बातो का है ये असर की मैंने खुद को पाया है ऐसे ,जैसा कभी खुद को न सोचा था ,
सपना ऐसा दिखाया है तुमने,हमें खुद से मिलवाया है तुमने इस बार ......