Monday, January 24, 2011

अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए , सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने

अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए ,
सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने

कोई जंजीर है जिसने पाव को मेरे जकड़ा है,मेरे हाथो को पकड़ा है,
उन्होंने कहाँ था हमसे रोक लो हमें नहीं तो हम चलें जायेंगे दूर
हमने रोकना भी चाहा था उन्हें ,पर कुछ था जिसने रोका था हमें,टोका था हमें
कुछ कहना था उनसे हमें पर कह न सके, सिमट के उनकी बाहों में कहना था
न जाओ हमें यूँ तन्हा अकेले छोड़ कर,थाम लो मेरा हाथ हमेशा के लिए अपने हाथों में
छुपा लो इस दुनिया से ,दूर ले चलो कही बहुत जहाँ न हो कोई मेरे तुम्हारे सिवा
मेरी आखो में आसुओ का ये जो समुंदर है इसमे आज भी तैरतें है कुछ सपने आधें अधूरे से
तुम्हारे आखों में जो प्यार देखा था ,वो बस  गया है जैसे मेरी आखों में,


अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए ,
सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने .....
                                                                                                प्रियंका......


2 comments:

  1. Arman na kabhi pure hote hai aur nahi sapne kabhi sachh hote hai so arman banaana hi chod do aur sapne to nind me hi achhe lagte hai :((

    waise nice poem priya :))

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