Tuesday, March 15, 2011

कसक...

एक कसक सी दिल दिल में उठती रही ,लब को मुस्कुराना सिखा दिया था हमने ,
पर आखें रोती रही,उनके जाने का गम तो था पर अपना है वो इतना तो करार था ,
पर बीच में ख़ामोशी कुछ ऐसी रही की हम हर तराना ही भूल गए ,
दर्द का दरिया दिल में छुपा ही लिया था हमने ,पर एक लहर ऐसी उठी की नैनो को भिगो दिया ,
चहेरे पर ओढ़ ली थी हमने एक चिलमन मुस्कान की ,पर आज एक कसक फिर ऐसी उठी की ,
मुस्कान की ओ झूठी चिलमन कही खो सी गयी ,फिर याद आया की हमने कुछ खो दिया.......

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