Wednesday, February 15, 2012

मेरी आवाज़ हो तुम ..


                                                    मेरी आवाज़ हो तुम .....
 

पलकों पर सजे जो वो ख्वाब हो तुम ,जब  भी मैं  खामोश हूँ तब  मेरी आवाज़ हो तुम..
जब अंधेरों में पाती हूँ तनहा खुद को कभी ,तब जो होता है रोशन वो आफ़ताब हो तुम....
        
                मेरी हर सोच में हो शामिल ,मेरे ख्यालात हो तुम 
                सावन की पहली फुहार ,और बूदों के मल्हार हो तुम
                कह देती हूँ तुमसे जो वो हर अल्फाज़ हो तुम 
                 दूर ही सही पर मेरे बहुत पास हो तुम  
 
पलकों पर सजे जो वो ख्वाब हो तुम ,जब  भी मैं  खामोश हूँ तब  मेरी आवाज़ हो तुम..
जब अंधेरों में पाती हूँ तनहा खुद को कभी ,तब जो होता है रोशन वो आफ़ताब हो तुम....

                साँसों की सरगम में घुल से जाते राग हो तुम                
                मेरा संगीत मेरी आवाज़ , मेरा सुर मेरा साज़ हो तुम 
                जो हर पल गुनगुनाती हूँ वो राग हो तुम 
                 हाँ हर पल में मेरी आवाज़ हो तुम ......