Friday, June 10, 2011

dua.....

कुछ असर दुआओ का ऐसा होता  है जनाब,
जो किस्मत को पलट कर रख देता है क्युकी 
खुदा क्या करे वो आशिक ही है अपने बन्दों का,
सिर्फ बन्दों के एक आसू पर क़यामत भी ला देता है ...

Thursday, May 26, 2011

रहने को तो तेरे शहर में रहते है हम अब भी......

रहने को तो तेरे शहर में रहते है हम अब भी,

उन गलियों से गुजरते है हम अब भी ,
जहाँ कभी साथ तुम्हारे चलते थे हम भी,
अब उन गलियों में जाने से डरते है हम अब भी

रहने को तो तेरे शहर में रहते है हम अब भी,


हर बार झूठी कसम खाते है उन गलियों में न जाने की
पर हर बार उन गलियों में जा कर ,
तुम्हें खोजती है ये आखें आज भी
  
रहने को तो तेरे शहर में रहते है हम अब भी,

उन खूबसूरत चौराहों से गुजरते है हम जब भी ,
तुम अहसास बन आ ही जाते हो अब भी,
खुदा की कसम हर बार मर के जीते है हम अब भी 

रहने को तो तेरे शहर में रहते है हम अब भी....

Friday, April 29, 2011

कई बार.......

पलकों की चिलमन से छुपकर देखा है मैंने तुम्हे कई बार ,
अपनी सांसो  की सरगम में मैंने सुना है तुमको हर बार, कई बार,
अपने हाथो को उठा कर उस खुदा से की है दुआए तुम्हारे लिए हर बार,कई बार,
अहसासों की घनी  बस्ती मैंने सजायी है मन मैं इस बार,पहली बार,
जो मन मैं बनायीं है वो सुंदर छवि वो तुम्हारी है पहली और आखरी बार,
तुम्हारी बातो का है ये असर की मैंने खुद को पाया है ऐसे ,जैसा कभी  खुद को न सोचा था  ,
सपना ऐसा दिखाया है तुमने,हमें खुद से मिलवाया है  तुमने इस बार ......



Monday, April 4, 2011

किसी का इंतजार करना मुश्किल नहीं......

किसी का  इंतजार  करना  मुश्किल नहीं दुनिया में ,पर  यकीन तो  हो  की  वो  अपना  है ,
दुनिया  की  भीड़  में जो  ना करे  कभी  तनहा ,वो  कोई  खास  शख्स  तो  अपना हो,
माना की दुनिया का एक अपना दस्तूर है ,पर दुनिया पर भी किसी का सुरूर है ,
शब्दों को सहेज कर अरमानो को  सजाया है हमने ,हर बात में अपनी छुपाया है तुमको ,
मेरे सारे लफ्जों में अहसास तुमारा है ,मेरा हर गीत तुम्हारा है ,मेरा हर साज़  तुम्हारा है ,

किसी का  इंतजार  करना  मुश्किल नहीं दुनिया में ,पर  यकीन तो  हो  की  वो  अपना  है...

जो सपने मैंने बुने है अपने अंतर्मन में ,उन सपनो के हर तार में एक अरमान तुम्हारा है ,
जितना सोचा है मैंने जाना है हर वो अहसास तुम्हारा है ,खुद बन जाते हो अहसास मेरे,
अब हर सपना बस तुम्हारा है ,मन में खिले पुष्पों का हर हार अब तुम्हारा है ,
किसी का  इंतजार  करना  मुश्किल नहीं दुनिया में ,पर  यकीन तो  हो  की  वो  अपना  है...




Tuesday, March 22, 2011

प्यार तो एक समुन्द्र ....

 '' जनाब प्यार  तो  एक  समुन्द्र  है  जितना  डूबोगे  गहराई  उतनी  मिलेगी ,बस समझ  का  फेर  है  किसी  को  रब  इसमे  दिखता है  तो  किसी  को  हास्य  नज़र  आता  ,पर  सच  तो  ये  है  ये  वो  है  जो  पथेर में  जान  दाल  जाता  है ,.बस  पहचान  लो  उसको  ,जान  लो  उसको  हर  मोड़  पर  ये  नहीं  होता  पर  जब  होता  तो  जिन्दगी  मोड़  जाता  है  ,ये  वो  सूरज  है  जो रोशनी  दूसरो को  देकर  खुद जलता  रह  जाता  है ......."

Sunday, March 20, 2011

नयी झंकार....

मन में एक नयी झंकार तो है ,जीवन में एक नया उल्लास तो है ,
खुशियों से दामन को अपने सजाने की एक ख्वाहिश सी जगी मन में ,
तुम्हारे आने से एक कलि तो खिली है ,अहसास कुछ तो हुआ है जरुर 
तुम्हारी जिन्दगी में कुछ खुशियों की फुलवारी तो सजी है ,
खुश हूँ तुम्हारी खुशी से इतनी मैं की जीने की आस सी जगी है ,
तुम्हारे दमन में जो खुशिया आई है ,उसको अहसास तो मैंने कर लिया है,
बस बनी रहे यूँ ही खुशिया हर दम ,ये दुआ है मेरी जिन्दगी रंगों से सजी रहे तुम्हारी .......

Tuesday, March 15, 2011

कसक...

एक कसक सी दिल दिल में उठती रही ,लब को मुस्कुराना सिखा दिया था हमने ,
पर आखें रोती रही,उनके जाने का गम तो था पर अपना है वो इतना तो करार था ,
पर बीच में ख़ामोशी कुछ ऐसी रही की हम हर तराना ही भूल गए ,
दर्द का दरिया दिल में छुपा ही लिया था हमने ,पर एक लहर ऐसी उठी की नैनो को भिगो दिया ,
चहेरे पर ओढ़ ली थी हमने एक चिलमन मुस्कान की ,पर आज एक कसक फिर ऐसी उठी की ,
मुस्कान की ओ झूठी चिलमन कही खो सी गयी ,फिर याद आया की हमने कुछ खो दिया.......

Wednesday, March 2, 2011

इच्छाए...

कुछ शांत सी  कुछ अशांत सी इच्छाए'
कुछ प्रह्स्फुटित करती,कुछ दमित इच्छाए
कुछ खोती और  पाती इच्छाए '
                                                          कुछ हसाती कुछ रुलाती इच्छाए 
                                                          कुछ बतायी और कुछ छुपायी इच्छाए 
                                                          कुछ सवारती और कुछ बिगाडती इच्छाए 
कुछ कालान्त और कुछ पारसंगिक इच्छाए
कुछ स्याह और कुछ उज्जवल इच्छाए 
कुछ मुझे सताती और कुछ रुलाती इच्छाए 
                                                               
                                                               कुछ मुझे सवारती इच्छाए और कुछ को मैं सवारती
                                                                कुछ मुझे जोडती और कुछ मुझे तोडती इच्छाए 
                                                               कुछ मैं तोडती और कुछ जोडती इच्छाए 
जीवन का सार है और आधार ये इच्छाए 
माना सीमान्त नहीं है इच्छाओ का कोई
पर जीवन को एक पल में बिता देती है ये इच्छाए...      
"ऐतबार तो हो जाता है ,उनकी बस एक मुस्कान पर ,
खुदा की कसम हमने खुद को संभाला तो बहुत था,
बस उनकी नजरो के उस अनकहें अहसास ने कमाल कर दिया "  

Saturday, February 26, 2011

फ़ासला..

होता  है  यूँ  ही  जिन्दगी  के  साथ  कभी  कभी  ,
रोशनी  तो  फैलती है  ज़माने  में  पर  दिल  में  अँधेरा  ही  रह  जाता  है ,
जरुरत  तो  उनकी  रहती  है  हमे  हर  दम  ,
बस  दर्मिया  फ़ासला सा  कुछ  रह  जाता  है ..........

Monday, February 21, 2011

काश......

कही तो कोई ऐसा हो जो मेरा अपना हो ,
मेरी हर दुःख परेशानी को वो अपना कहता ,
मेरे सपनो को सजाता और सवारता,
मेरी आखो में जो ये गम का समुन्दर है,
इसे कोई ऋषि अगस्तय बन पी जाता ,
जो हर गम से बचा लेता मुझको  ,
दुनिया से लड़ कर मुझको अपना बना लेता वो,
काश कोई ऐसा होता जो जिन्दगी में आकर कभी,
यूँ तनहा अकेला ना कर जाता मुझको ........

Sunday, February 20, 2011

अहसास...

दिल ये न जाने किस मुकाम पर है, जब वो पास थे तो उनसे अलग होने का अहसास ही न था, 

अब जब वो दूर है तो उन्हें छुने को दिल  करता है , सिमट के उनके बाजुओ में रोने को दिल करता 

है..........न जाने  क्यू अब इस दुनिया को भुलाने को दिल करता है........

क्यों....

हमेशा अपनी ही खुशियों को क्यों आग लगाती है बेटिया,अपने ही सपनो को भुला देती है बेटिया,


कभी दहेज़ तो कभी  इज्जत के  नाम  पर  जला  दी  जाती  है  बेटिया 


क्यों हमेशा खुद को और अपने सपनो को खो देती है बेटिया......

अरमान जो सजाए......

बहुत  प्यार  से  सपने  सजाये  थे , उनके  आने  की  खुशी  में  कई  अरमान सजाये  थे  ,जब  न  

आये  वो  लौट  कर,सच  में  उन्ही  अरमानो   को  आपने हाथो  से  दफनाये  थे ,जी  भर  के  रो  भी  

न  सके  हम  उनके  कंधो  से  लग  कर  क्युकी   तन्हा  थे  इस  कदर  की  अपने  अरमानो   को  खुद  

ही  खो  के  आये  थे  हम ....

Saturday, February 19, 2011

वो अपना है पर पराया क्यों है..

दिल में दर्द सा क्यों है ,वो अपना है पर पराया सा क्यों है ,
साथ उसके रहना तो चाहती हूँ ,दूरिया इतनी दर्मिया क्यों है ,
महसूस करती हूँ हर पल साथ उसको ,पर वो नजरो से दूर क्यों है,
जानती हूँ उसको पहचानती हूँ उसको ,पर फिर भी वो बेगाना सा क्यों है,
याद उसे करती हूँ हर पल ,फिर भी हमारे बीच ये चुपी सी क्यों है ,
ये अनचाही सी दूरिया क्यों है ,हम मिल के भी अनजाने से क्यों है ,
सुन सकते हो आवाज़ मेरी ,समझ सकते हो हर बात मेरी ,
फिर भी क्यों अनसुना कर जाते हो ,इस सफ़र में तन्हा किये जाते हो ,
चमक तुम्हे देख कर चहेरे पे मेरे जो आती थी उसे स्याह किये जाते हो,
आखें जो ख्वाब बुनती थे सपनीले ,उसे क्यों सूना किये जाते हो .......

Thursday, February 17, 2011

गम को छुपाना जिन्दगी है..

कहते है अश्को  को छुपा कर जीना जिन्दगी है ,
मुस्कुरा कर गम को छुपाना जिन्दगी है ,
अजी जीना तो मुश्किल तब हो जाता है ,
जब आखें तो रोती है पर होंठो को हँसाना पड़ता है,
अपने अश्को को हम इसलिए दिल में कैद रखते है ,
ये निशानी है उसकी जिसे हम खुद में छुपा कर रखते है,
माना हमारे इंतजार की कोई मंजिल नहीं ,
पर खुद को हम इसी में उलझाये रखते है,
भरमाये रखते है ,सच कहे इस तरह जीना जिन्दगी है.....
                                                                                  priyanka      

आप बनो साहिल..

" आप बनो साहिल हमारे ,किस्मत को शायद ये मंजूर न था 
   सुना है मासूम दुआओं में बड़ा असर होता है,
  अब देखना है असर कितना हमारी दुआओ में है "

Wednesday, February 16, 2011

मेरी हर बात में तुम हो....

मेरी  हर बात में तुम हो ,हर पल हर अहसास में तुम हो ,
फिर भी न जाने क्यों खोजती है ये नज़रे तुमको हर पल,
                              आखो में कुछ तस्वीरे समायी है की नज़र कुछ और आता नहीं,
                              हर शख्स में देखा है तुमको ,हर रंग में पाया है तुमको ,
                              मौसम हो कोई भी पर तुम्हारे आने से बसंत जो छाया था ,वो आज भी है  
मेरी  हर बात में तुम हो ,हर पल हर अहसास में तुम हो ,
फिर भी न जाने क्यों खोजती है ये नज़रे तुमको हर पल,
                              दिल की धडकनों में तुम्हे छुपा कर हर नज़र से बचाया है,
                              मासूम है तुम्हारे होने का अहसास ,पवित्र है तुम्हारे साथ का अहसास ,
                              समाज की कठोरता से अपने रिश्ते को बचाया है हमने,
मेरी  हर बात में तुम हो ,हर पल हर अहसास में तुम हो ,
फिर भी न जाने क्यों खोजती है ये नज़रे तुमको हर पल                            


Sunday, February 13, 2011

हर रात वो चाँद दिखता नहीं है...

हर रात वो चाँद दिखता नहीं है ,पर मेरा चाँद तो मेरी आखो में रहता है,
दूर होते होंगे आसमान के तारे,पर मेरा तारा तो मेरे दिल में बसता है ,
लोग कहते है सो जाऊ तो ख्वाब आयेंगे,पर मेरा ख्वाब तो मेरी सासों में बसता है ,
लोग कहते है की वो दूर मुझसे रहता है ,पर उन्हें क्या पता वो मुझमे ही बसता है,
कालिया जो मुस्काई तो लोग कहते है बसंत है,पर मेरा बसंत तो उनकी मुस्कान में है,
वो कहते है तुम अच्छी हो,पर खुदा की कसम नज़रे उनकी खास है जो मुझ में अच्छा देखती है,
पत्तो के झड़ने पर पतझड़ है लोग कहते है,पर जब वो दूर गए तबसे पतझड़ हमको लगता है,
सब कहते है आखो में अश्क है तेरे तब रश्क होता है,ये मोती है अनमोल मेरे गर्व इनपे होता है ,
कुछ तो है खास मेरे पास जो सिर्फ है उनके लिए,इसलिए ये मोती कोहिनूर है मेरे लिए........ 

Friday, February 11, 2011

मन मंदिर के तारो को झंकृत..

         मन मंदिर के तारो को झंकृत आप कर गए ,आये आप हमारी जिन्दगी में बहारो की तरह ,
प्यार के फूलो से भर दी जिन्दगी हमारी , और हर तरफ चादनी का अहसास कराया आपने,
जिन्दगी से प्यार करना सिखाया आपने ,महसूस करती हूँ आपको हर पल साथ अपने ,
इस मन में प्यार के पुष्पों को खिलना सिखाया आपने,मुमकिन नहीं भुलाना आपसे  जुड़े किसी भी पल को ,
हर पल को दिल में बसाये रखा है हमने,पर सच है यही एक बात आपसे छुपाये रखा है हमने,
       मन मंदिर के तारो को झंकृत आप कर गए ,आये आप हमारी जिन्दगी में बहारो की तरह,
दिल के किसी कोने में बनाये रखा है आपको ,अपने गीतों में सजाये हमेशा सजाये रखा है आपको
हमारे गीतों में आप है,हमारी बातो में आप है,आपको कैसे बताये हर जिक्र में आप है
ये माना की सख्त है ज़माने के दस्तूर ,पर दिल के मंदिर में  जो छवि सजायी है आपकी ,
माना की  सीमान्त  नहीं सपनो का कोई ,पर कैसे कहें की हम बार बार सपने सजा नहीं सकतें ,
एक बार जो छवि बना ली है हमने अब चाह कर भी उसे  बदल नहीं सकते  ,
खुदा की कसम ऐसी प्यारी सी  छवि दिल में  बना ली  है हमने.......
      मन मंदिर के तारो को झंकृत आप कर गए ,आये आप हमारी जिन्दगी में बहारो की तरह

Wednesday, February 9, 2011

रात्रि को चीरता उगता है सूर्य...

                      रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
                      घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
                     सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से ,
    शास्वत है उसका आना और जाना ,वैसे ही शास्वत है भारत का आस्तित्व भी
     नहीं भेद सकता है इसको कोई भी राज़ ,चाहें हो कोई भी तूफान ,या आतंक ,
    किसी भी राज़ का हो अँधेरा या आतंक का हो तूफान ,हम भारत की आन है
    सबसे लड़ लेंगे हम गाँधी ,नेहरु की है पीढ़ी ,गर्दिशो से भी खीच लायेंगे अपने देश की कश्ती,
                  रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
                  घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
                   सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से,
   माँ को टुकड़ो में मत बाटो ये भारत माता के बेटो ,ये वो माँ है जिसकी खातिर 
   अनेको माओ ने अपनी गोदे सुनी की,अंधड़ हो किसी भी राज़ का ,
   या की आसाम का आलगाववादी शोर हो ,या फिर हो कश्मीर में बढता हिंसा का जोर हो ,
    जऱा ये भी तो सोचो गर बाट दिया हमने अपनी ही  माँ के आचल को ,
   तो हमारा अपना अस्तित्व ही क्या रह जायेगा,कुछ झूठे मोतियों की खातिर क्या 
    अपने ही घर को तोड़ देंगे हम,कुछ पल को आओ बैठ कर सोचे ,
    क्या हम पर नाज़ हमारी  तरह हमारी संताने कर पाएंगी,समझो माँ के प्यार को ,उससे है हम पहचानो इस बात को ,
              रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
              घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
             सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से,
    कर निहित स्वार्थ का त्याग,आओ करें भारत माता से अनुराग ,
    शान है हम भारत की ,नेहरु,गाँधी का है मान,साबित कर दो ए भारत माँ के लाल ,
     न हमारी कोई जात न धरम ,हम है भारतीय बस यही है हमारी पहचान ,
   करो बस देश से प्रेम है यही हमारा कर्म,माँ का आचल कर दो रोशन अपने कर्मो से,लहरा दो तिरंगा पूरी दुनिया में
                          रात्रि को चीरता उगता है देखो सूर्य ,गर्मी ,सर्दी ,वर्षा या हो मधुमास...
                          घना हो चाहे कितना भी अँधेरा,नहीं रहती है कोई रात्रि सदासर्वदा ,
                        सूर्य टलता नहीं है घनघोर अंधेरो से ,डरता नहीं है किसी भी अनजाने से... 
     

Tuesday, February 8, 2011

तमन्ना...

वो न जाने क्यों हमारी हर  तमन्ना से खफा होते है
उन्हें कैसे बताये की हमारी हर तमन्ना में वो ही होते है,
उन्हें लगता है शायद  की वो हमसे दूर हो गए है,
उन्हें क्या पता वो साँस बनकर हम में ही रहतें है,
ये अलग बात है की हम हर बात जताते नहीं,
जैसे खुदा है हममे पर हम उन्हें देख पाते नहीं,
कोई जरुरी नहीं उन्हें कर कदम पर हम अहसास अपना दिलाये 
वो अहसास है हमारे लिए इतना ही काफी है ......

वो एक प्यारा सा सपना..

वो एक प्यारा सा सपना था ,आखो में बसा वो चेहरा अनजाना पर अपना था ,जब पास वो आये पहली बार ,
दिल में हुई थी कुछ हलचल न जाने क्यों ,कुछ हुआ था अहसास जो था बहुत खास ,
कुछ पाने की आरजू न थी उनके आने के बाद,बहती हवा के झोके से वो आये और हस्ती पर छा गए वो हमारी,
पहले डरते थे हम कुछ खो जाने के अहसास से ,पर उन्हें खोने के बाद डर से भी डर नहीं लगता ,
पहले तो चोट के ख्याल से डर लग जाता था,अब तो किसी चोट का अहसास ही नहीं होता उनके जाने के बाद,
                       वो एक प्यारा सा सपना था ,आखो में बसा वो चेहरा अनजाना पर अपना था.....,
उनके चहेरे की ख़ुशी  देख कर दुनिया की हर खुशी छोटी लगती थी ,उनके आने के बाद हर तरफ खुशिया बिखरी सी लगती थी,
उनके साथ रहकर दुनिया खिली खिली लगती थी ,हर तरफ प्यार का ही साया था ,
अब तो हर बसंत में भी पतझड़ लगता है ,पहले पतझड़ में भी दिल की बगिया खिली रहती थी ,
पहले गम में भी होंठों पर हलकी सी मुस्कराहट रहती थी ,अब तो खुशियों में भी खुद को मुस्कुराने को कहना पड़ता है
वो क्या गए अब तो खुद को साँस लेना याद दिलाना पड़ता है ,जीना याद दिलाना पड़ता है.....
                       वो एक प्यारा सा सपना था ,आखो में बसा वो चेहरा अनजाना पर अपना था......,

Wednesday, February 2, 2011

तकदीर..

" कभी कभी दर्द तकदीर बन कर जगाता है ,कभी दुआ तो कभी नासूर बन कर जगाता है 
कभी कभी प्यार बन जुल्फें सँवार जाता है ,कभी आसू बन आखो से  काजल बहा ले जाता है "
                                                                                                                               प्रियंका 

हम खामोश है हर बार की तरह..

तेरी दुनिया में इन्सान का दिल ऐसा क्यों है ,दिल रोता है पर होंटो को हसाना पड़ता है
दिल में है दर्द इतना पर मुस्कुराना पड़ता है , दिल जब रोता है तो खुद ही चुप कराना पड़ता है
जुबा को खामोश कर रखा है हमने ,पर अश्को को छुपाना पड़ता है,
मुश्किल है हर बार अश्को को छुपाना ,हर बार एक नया झूठ बोलना पड़ता है ,
हम खामोश है हर बार की तरह ,हर बार की तरह दिल को मनाना पड़ता है ,
लोग कहतें है वो बहुत दूर है हमसे ,पर कैसे कहें की उन्हें दिल में छुपाना पड़ता है,
प्यार को भगवान मानते है लोग ,पर भगवान को भी तो बुलाना पड़ता है ,
जो प्यार मिला जिन्दगी में ,कैसे कहें की उसे भी भुलाना पड़ता है ,
वो सोचतें है की भुला देंगें हम उन्हें ,पर उन्हें क्या पता जीने के लिए उन्हें ही याद करना पड़ता है
पास थे तो परवाह थी उन्हें हमारी ,अब तो याद उन्हें  दिलाना पड़ता है
खास है वो दिल के पास वो ,पर उनसे ही छुपाना पड़ता है ,
जीने की उम्मीद खो से जाती है जब दूर होने का अहसास दिल को पड़ता है ,
बेशक वो दूर है हमसे ,पर जब दिल में बसाया है उन्हें तो
उन्हें क्या पता,बात उनसे रोज ही चुपके से  कर लेता है दिल,
उन्हें क्या पता रोज चुपके से उनका दीदार कर लेता है दिल
वो तो सोचतें है उन्हें भुलाये बैठें है हम ,उन्हें कैसे बताएं की उन्हें दिल में छुपाये बैठें है हम ,
पहले हर बात बिना बताये समझ जाते थे वो ,अब तो उन्हें हर बात बताना पड़ता है ...............

                                                                                                                       प्रियंका

Monday, January 24, 2011

अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए , सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने

अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए ,
सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने

कोई जंजीर है जिसने पाव को मेरे जकड़ा है,मेरे हाथो को पकड़ा है,
उन्होंने कहाँ था हमसे रोक लो हमें नहीं तो हम चलें जायेंगे दूर
हमने रोकना भी चाहा था उन्हें ,पर कुछ था जिसने रोका था हमें,टोका था हमें
कुछ कहना था उनसे हमें पर कह न सके, सिमट के उनकी बाहों में कहना था
न जाओ हमें यूँ तन्हा अकेले छोड़ कर,थाम लो मेरा हाथ हमेशा के लिए अपने हाथों में
छुपा लो इस दुनिया से ,दूर ले चलो कही बहुत जहाँ न हो कोई मेरे तुम्हारे सिवा
मेरी आखो में आसुओ का ये जो समुंदर है इसमे आज भी तैरतें है कुछ सपने आधें अधूरे से
तुम्हारे आखों में जो प्यार देखा था ,वो बस  गया है जैसे मेरी आखों में,


अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए ,
सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने .....
                                                                                                प्रियंका......


sadak k us paar.......

सड़क के उस पार एक बड़ा सा बंगला बन रहा है ,कई लोग काम कर रहे है इस कडकडाती सर्दी में
एक माँ भी अपने दुध्मुहें बच्चें को लेकर आती है ,रोज देखती हूँ मै उसको कोने में लिटा देती बच्चें को
काम पर लग जाती है रोज छोड़ के अपने लाडले को, जब वो रोता है तो बेबस सी देखती वो मालिक की आखो को
अपने लाडले को गोद में उठाना चाहती है पर मालिक की घूरती आखो से देर जाती ,बस गुजती है बेटे की आवाज़ सर्वत्र
ठितुरता वो नन्हा सा माँ के पीछें पीछें  नज़रे उसकी जाती है ,और माँ जरा मालिक से नज़रें चुराकर जरा सा प्यार से पुचकारती है तब किल्कारिया उसकी गूंज सी जाती है ,
बस इतने में ही मालिक देख के घूरता है और माँ डर  सी जाती है ,
काम में लग  जाती है  मालिक एक पल को बच्चे पर हिकारत की नजरो से बच्चें को रोता  देखता रहता है
आज जरा घना सा कोहरा था ,सरसर्ती हवा थी ,शरीर में बर्फ से जमती सी लगती थी ,पर वही रोज की कहानी थी,
तभी एक बड़ी सी कार आती है और उसमे से एक छोटा सा बच्चा और उसकी माँ बाहर आती है ,
और  तीर सा उसका मालिक दौड़ता आता है और लपक उन मैडम के बच्चें को उठ लेता है,
न जाने क्या फर्क था दोनों बच्चो में ,शायद फर्क है इंसानियत की इस नयी आधुनिकता में और पैसे की इस भूख में ......  

Friday, January 21, 2011

दंग हूँ दुनिया के दोहरे रूपों से......

                          दंग हूँ दुनिया के दोहरे रूपों से ,दिल में कुछ बातें है जो चुभती है तीरों सी
हर इंसा के इतने रूप है की खो देता है खुद को दुनिया की बातों में
खो दिया है  कहाँ वो प्यार इंसानो ने जो हमें इंसान बनाती थी ,
कभी इस देह को पाने को देवता भी तरसते थे ,
अब इंसान ने खुद को क्या बना लिया
प्यार ,श्रधा और दया कही खो सी  गयी हम इंसानों में ,
है छोटी सी जिंदगी पर इसमे भी घोल दिया जहर जाति पाति का
आज जला दी जाती है बेटी गर है प्यार उसके दिल में किसी के लिए
जला दी जाती है बहु बस चंद रुपयों की झोली को
दुर्गा ,सरस्वती और लक्ष्मी को तो पूजतें है ,
लोग पर घर में ही मार देते है अजन्मी बचि को
                         दंग हूँ दुनिया के दोहेरे रूपों से, दिल में कुछ बातें है जो चुभती है तीरों सी
लड़की हो घर का मान हो कह कर तोड़ देते है समाज हर उसके सपनो को
घर की इज्जत कहकर कुतर दिए जाते है  सपनो के पर,
है रखना हमेशा चहेरे पर मुस्कान तुम्हें चाहे दिल में गम का हो सागर
माँ ने बचपन में बताया था ,हो पराया धन माँ  ने समझाया था,
दूर थी मैं ऐसी कई हकीकतो से ,पर जब सामना हुआ तो नफरत सी होती है ,
भगवान ने तो हमें दिल दिया था रिश्ते निभाने को ,प्यार करने को ,
पर रिश्तो में दिमाग क्यों लगा दिया हमने ,रिश्तो को बाजार बना दिया हमने
दिल तो एक ही है  उसे क्यों न सँभाल सका इंसान ,
इंसान क्यों न रह सका इंसान                      
                    दंग हूँ दुनिया के दोहेरे रूपों से,दिल में कुछ बातें है जो चुभती है तीरों सी



                                                                              प्रियंका........

Tuesday, January 18, 2011

विश्वास का दीप

विश्वास का दीप जलाकर मैं करती हूँ तेरा अहवाहन ,
भारत का कर विकास अब उठ जागकर ,
है हर युवा की ये जिमेदारी और समय की पुकार
                                                 अब रहे न कोई डरा सा सहमा सा ,
                                                 करते रहे सब देश प्रेम की हुकार,
                                                 आज है यही है मानव की पुकार
                                                  नए युग का करेंगे हम निर्माण
विश्वास का दीप जलाकर करती हूँ तेरा  अहवाहन.....
उठ जाग युवा समय की सुन पुकार.........      
                                                    सरल  सरस और सहज गंगा की धारा है ये
                                                    करती है कल्याण ये बन करुणा की धारा
                                                    इससे होगा सहस ही अपनी धमनियों में साहस का संचार
                                                    दूर होगा अब हर तिमिर और उसका संसार
.विश्वास का दीप जलाकर करती हूँ तेरा  अहवाहन..
 उठ जाग युवा समय की सुन पुकार........
                                                       हम बदलेंगे पुरानी रस्मो को रिवाजों को
                                                       जिसमे मानवता बंधी बंधी सी लगती है
                                                       वर्षो से जो बन कर तीर दिल में कहीं चुभी है
                                                       करेंगे हर बाधा का अंत,प्रेम का सूर्य फिर से चमकेगा
विश्वास का दीप जलाकर करती हूँ तेरा  अहवाहन.
उठ जाग युवा समय की सुन पुकार....

aur sapne kho gaye......

maine kai raato mein khud ko rote paye hai ,
apni aakho ko rote aur khud ko khote paye hai,
jo mahsus hota wo alfazo mein kaise kahein,
apni aakho k assuo ko sab se hasta btaya hai,
khus hun kahti hun sabse bas aayene se khud ki nazro ko chupaya hai,
wo din suhane the pr hum kal se anjane the,
socha to tha assman apna hai pr khud k pankho ki pahchan na thi
apne khwhisho mein khoye the etna ki khud se hi anjan rah gaye,
hawayein kuch aisi chali ki sapno ko ghar hi kahi kho gaya
aur hum tanha bebas dekhte hi rah gaye aur sapne kho gaye.......


                                                                                                                 priyanka chaubey

Sunday, January 16, 2011

aur tum aao......

jb mein akele apni tanhayo mein sisakti ho tb tum aate ho 
jb barf si hawayein hujhe sataye tb tum aate ho,
khud ko jb khoti si pati hun tb tum aate ho,
apni parchayi jb sath chod deti hai tb tum aate ho
tumhare ahssas ko hr pal mahsus karti hun yun,
ki hr pal lagta hai ki ab tum aaye ho,
phulo ko khilte dekhti hun to lagta hai ki tum ho,
hr rang mein bs jate ho tum ,jahan dekhti ki lagta hai ki tum ho,
hr pal sath jo chlta hai lagta hai ki tum ho,
khud ko kho jati to lagta hai ki ,
tum to sath ho sambhal hi loge,
es duniya se bacha hi loge..........

Saturday, January 15, 2011

kayamat tak.......

hr dua puri ho ye jaruri to nahi ,pr tumse to judi hai aas aur dua hamari ab tk,
tum na aana besak pr hame intjar rahega kayamat tak ,
tum pr  hame aytbar rahega kyamat tak,
hr subah naam tumhara lakr hoti hai , 
hr raat tumara naam lekr so jati hai ,
jiwan k hr pal mein ahssas tumhara hai ab tk,
tum gaye marzi thi tumhari pr hame intjar hai tumhare laut aane ka ab tk, 
tumhe hr saas pukrti rahegi kayamat tak.......