Monday, January 24, 2011

अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए , सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने

अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए ,
सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने

कोई जंजीर है जिसने पाव को मेरे जकड़ा है,मेरे हाथो को पकड़ा है,
उन्होंने कहाँ था हमसे रोक लो हमें नहीं तो हम चलें जायेंगे दूर
हमने रोकना भी चाहा था उन्हें ,पर कुछ था जिसने रोका था हमें,टोका था हमें
कुछ कहना था उनसे हमें पर कह न सके, सिमट के उनकी बाहों में कहना था
न जाओ हमें यूँ तन्हा अकेले छोड़ कर,थाम लो मेरा हाथ हमेशा के लिए अपने हाथों में
छुपा लो इस दुनिया से ,दूर ले चलो कही बहुत जहाँ न हो कोई मेरे तुम्हारे सिवा
मेरी आखो में आसुओ का ये जो समुंदर है इसमे आज भी तैरतें है कुछ सपने आधें अधूरे से
तुम्हारे आखों में जो प्यार देखा था ,वो बस  गया है जैसे मेरी आखों में,


अरमान जो उनसे जुड़े है ,वो दिल में कही सिमटे रह गए ,
सपने टूटे और सीने में चुभतें रहे ,अरमान दिल में दबाये है कुछ मैंने .....
                                                                                                प्रियंका......


sadak k us paar.......

सड़क के उस पार एक बड़ा सा बंगला बन रहा है ,कई लोग काम कर रहे है इस कडकडाती सर्दी में
एक माँ भी अपने दुध्मुहें बच्चें को लेकर आती है ,रोज देखती हूँ मै उसको कोने में लिटा देती बच्चें को
काम पर लग जाती है रोज छोड़ के अपने लाडले को, जब वो रोता है तो बेबस सी देखती वो मालिक की आखो को
अपने लाडले को गोद में उठाना चाहती है पर मालिक की घूरती आखो से देर जाती ,बस गुजती है बेटे की आवाज़ सर्वत्र
ठितुरता वो नन्हा सा माँ के पीछें पीछें  नज़रे उसकी जाती है ,और माँ जरा मालिक से नज़रें चुराकर जरा सा प्यार से पुचकारती है तब किल्कारिया उसकी गूंज सी जाती है ,
बस इतने में ही मालिक देख के घूरता है और माँ डर  सी जाती है ,
काम में लग  जाती है  मालिक एक पल को बच्चे पर हिकारत की नजरो से बच्चें को रोता  देखता रहता है
आज जरा घना सा कोहरा था ,सरसर्ती हवा थी ,शरीर में बर्फ से जमती सी लगती थी ,पर वही रोज की कहानी थी,
तभी एक बड़ी सी कार आती है और उसमे से एक छोटा सा बच्चा और उसकी माँ बाहर आती है ,
और  तीर सा उसका मालिक दौड़ता आता है और लपक उन मैडम के बच्चें को उठ लेता है,
न जाने क्या फर्क था दोनों बच्चो में ,शायद फर्क है इंसानियत की इस नयी आधुनिकता में और पैसे की इस भूख में ......  

Friday, January 21, 2011

दंग हूँ दुनिया के दोहरे रूपों से......

                          दंग हूँ दुनिया के दोहरे रूपों से ,दिल में कुछ बातें है जो चुभती है तीरों सी
हर इंसा के इतने रूप है की खो देता है खुद को दुनिया की बातों में
खो दिया है  कहाँ वो प्यार इंसानो ने जो हमें इंसान बनाती थी ,
कभी इस देह को पाने को देवता भी तरसते थे ,
अब इंसान ने खुद को क्या बना लिया
प्यार ,श्रधा और दया कही खो सी  गयी हम इंसानों में ,
है छोटी सी जिंदगी पर इसमे भी घोल दिया जहर जाति पाति का
आज जला दी जाती है बेटी गर है प्यार उसके दिल में किसी के लिए
जला दी जाती है बहु बस चंद रुपयों की झोली को
दुर्गा ,सरस्वती और लक्ष्मी को तो पूजतें है ,
लोग पर घर में ही मार देते है अजन्मी बचि को
                         दंग हूँ दुनिया के दोहेरे रूपों से, दिल में कुछ बातें है जो चुभती है तीरों सी
लड़की हो घर का मान हो कह कर तोड़ देते है समाज हर उसके सपनो को
घर की इज्जत कहकर कुतर दिए जाते है  सपनो के पर,
है रखना हमेशा चहेरे पर मुस्कान तुम्हें चाहे दिल में गम का हो सागर
माँ ने बचपन में बताया था ,हो पराया धन माँ  ने समझाया था,
दूर थी मैं ऐसी कई हकीकतो से ,पर जब सामना हुआ तो नफरत सी होती है ,
भगवान ने तो हमें दिल दिया था रिश्ते निभाने को ,प्यार करने को ,
पर रिश्तो में दिमाग क्यों लगा दिया हमने ,रिश्तो को बाजार बना दिया हमने
दिल तो एक ही है  उसे क्यों न सँभाल सका इंसान ,
इंसान क्यों न रह सका इंसान                      
                    दंग हूँ दुनिया के दोहेरे रूपों से,दिल में कुछ बातें है जो चुभती है तीरों सी



                                                                              प्रियंका........

Tuesday, January 18, 2011

विश्वास का दीप

विश्वास का दीप जलाकर मैं करती हूँ तेरा अहवाहन ,
भारत का कर विकास अब उठ जागकर ,
है हर युवा की ये जिमेदारी और समय की पुकार
                                                 अब रहे न कोई डरा सा सहमा सा ,
                                                 करते रहे सब देश प्रेम की हुकार,
                                                 आज है यही है मानव की पुकार
                                                  नए युग का करेंगे हम निर्माण
विश्वास का दीप जलाकर करती हूँ तेरा  अहवाहन.....
उठ जाग युवा समय की सुन पुकार.........      
                                                    सरल  सरस और सहज गंगा की धारा है ये
                                                    करती है कल्याण ये बन करुणा की धारा
                                                    इससे होगा सहस ही अपनी धमनियों में साहस का संचार
                                                    दूर होगा अब हर तिमिर और उसका संसार
.विश्वास का दीप जलाकर करती हूँ तेरा  अहवाहन..
 उठ जाग युवा समय की सुन पुकार........
                                                       हम बदलेंगे पुरानी रस्मो को रिवाजों को
                                                       जिसमे मानवता बंधी बंधी सी लगती है
                                                       वर्षो से जो बन कर तीर दिल में कहीं चुभी है
                                                       करेंगे हर बाधा का अंत,प्रेम का सूर्य फिर से चमकेगा
विश्वास का दीप जलाकर करती हूँ तेरा  अहवाहन.
उठ जाग युवा समय की सुन पुकार....

aur sapne kho gaye......

maine kai raato mein khud ko rote paye hai ,
apni aakho ko rote aur khud ko khote paye hai,
jo mahsus hota wo alfazo mein kaise kahein,
apni aakho k assuo ko sab se hasta btaya hai,
khus hun kahti hun sabse bas aayene se khud ki nazro ko chupaya hai,
wo din suhane the pr hum kal se anjane the,
socha to tha assman apna hai pr khud k pankho ki pahchan na thi
apne khwhisho mein khoye the etna ki khud se hi anjan rah gaye,
hawayein kuch aisi chali ki sapno ko ghar hi kahi kho gaya
aur hum tanha bebas dekhte hi rah gaye aur sapne kho gaye.......


                                                                                                                 priyanka chaubey

Sunday, January 16, 2011

aur tum aao......

jb mein akele apni tanhayo mein sisakti ho tb tum aate ho 
jb barf si hawayein hujhe sataye tb tum aate ho,
khud ko jb khoti si pati hun tb tum aate ho,
apni parchayi jb sath chod deti hai tb tum aate ho
tumhare ahssas ko hr pal mahsus karti hun yun,
ki hr pal lagta hai ki ab tum aaye ho,
phulo ko khilte dekhti hun to lagta hai ki tum ho,
hr rang mein bs jate ho tum ,jahan dekhti ki lagta hai ki tum ho,
hr pal sath jo chlta hai lagta hai ki tum ho,
khud ko kho jati to lagta hai ki ,
tum to sath ho sambhal hi loge,
es duniya se bacha hi loge..........

Saturday, January 15, 2011

kayamat tak.......

hr dua puri ho ye jaruri to nahi ,pr tumse to judi hai aas aur dua hamari ab tk,
tum na aana besak pr hame intjar rahega kayamat tak ,
tum pr  hame aytbar rahega kyamat tak,
hr subah naam tumhara lakr hoti hai , 
hr raat tumara naam lekr so jati hai ,
jiwan k hr pal mein ahssas tumhara hai ab tk,
tum gaye marzi thi tumhari pr hame intjar hai tumhare laut aane ka ab tk, 
tumhe hr saas pukrti rahegi kayamat tak.......